कुछ अनकही सी बाते
कभी बहुत कुछ कह जाती है
हमारे खुल के हसने मे छिपी
ख़ामोशी नजर नही आती है
हम तो सिर्फ तन्हा है
पर वो कुछ ज्यादा
इसीलिए हमें उनके आस पास
कुछ ज्यादा भीड़ नजर आती है
वक़्त से कर लेने में कुछ काम
अच्छा होता है
वक़्त गुज़र जाने पे
नादानियां समझ में आती है
इश्क है हमे ये
बोल भी नहीं पाते है
और वो हाथ किसी और का
फुर्र हो जाती है
जिंदगी भी गजब खेल
हमे दिखलाती है
वो ख्वाब भी दिखाती है
तन्हा भी छोड़ जाती है
तन्हा भी छोड़ जाती है
– देव
Awesome. …
Wow very nice..u realy write so well. Keep it up👍
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Beautiful