जिंदगी और भी है जीने को

कब तक लकीरों को पीट
जख्मों को हरा करती रहेगी

पत्थरों पे सर मारेगी
चोट तुझको ही लगेगी

भूलना ही बेहतर है अक्सर
ज़ख्म दिल पर है जो लगे

जो बची है जिंदगी , वो भी
दर्द ए नासूर ना बन जाए

और भी है, जो चाहते है
तुझे तुझसे भी ज्यादा

नज़रे उठा के देख
जिंदगी और भी है, जीने को

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