एक दिन शून्य बन जाऊंगा

मुझे बांधने की कोशिश में
खुद ही उलझते जाओगे
लालसा अनंत की करोगे
अंत में शून्य पाओगे

पिंजरे में बंद तो कर लोगे
बड़ी आसानी से
पर मेरे दर्द से
तुम ही छटपटाओगे

दर्द देदो मुझे सारे अपने
भर लो खुशियां अपनी झोली में
डोर छोर दो जो पकड़ी है
किसी और को भी है जरूरत मेंरी

अभी वक्त है, जी लो जिंदगी
कल का क्या पता क्या हो जाएगा
जब तक है जां खुशियां बाट रहा हूं
फिर एक दिन शून्य बन जाऊंगा

देव

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