मैं सिंगल हूं, अकेली ना समझना
मैं सिंगल हूं, अकेली ना समझना
संग मेरे जहां मेरा
मेरी परछाई यार मेरा
सपने देख ना, मुझे पाने के
अरसो लगेंगे, मनाने में
तू बेसब्रा, मैं तसल्ली हूं
मेरी जिंदगी से, मैं टल्ली हूं
नशा मुझको है जीने का
नहीं शौक मुझको, पीने का
मै जीती हूं, शान मेरी
तेरी औकात फीकी है
तू मुझको यू ही छेड़ ना
मैं सिंगल हूं, अकेली ना समझना
मुझमें हिम्मत है, साहस है
ख़ुदा की मुझ पर रहमत है
सजा भी है, अदा भी है
नफ़रत है, मोहब्बत है
सुबह मेरी, शाम मेरी
मेरी महफ़िल में रौनक है
उल्फत है, उलझन है
सुलझने की भी, चाहत है
रोक ना राह यू मेरी
लड़ने की भी ताकत हैं
मेरे संग मेरी, इबादत है
ख़ुदा, को भी मोहब्बत है
मुझे मासूम ना समझना
मैं सिंगल हूं, अकेली ना समझना
देव
Bahut hee sunder tarike se ek akeli female ki feelings ko vyakt kiya hai .
Shukriya
How you write so well..coming from other gender but still understanding and expressing feelings of women so well.
Hats of to you dev ji.
Shukriya… Bas … Observe karta hoon… And being single mehsoos bhi
bahut hi khubsurat rachna.
Thanks