वो टूटी कांच की बोटल का टुकड़ा
जिसे कभी फेंक दिया था हमने
यही कही कोने में छुपा रह गया था
आज मिल गया, सफाई करते हुए हमें
अकेला सा कोने मुझे दुब्का हुआ
ढूंढते अपने बाकी हिस्सो को
तन्हा, उदास, खोया सा
तड़प में मिलने की साथियों से
उसे उठाया बड़ी तसल्ली से
अपने हाथो से सम्हलते हुए
कि कहीं ये कुरेद ना दे
कर ना दे जख्म हरे
पर ये क्या,ये तो खुद डरा सहमा है
इसी डर में कि कहीं फेंक ना दे उसे
किसी कचरे के डेर में
और चला जाए वो दूर कहीं
पूछा उससे, क्यूं भाई
इतना उदास क्यूं है
कि तो वो भी रहा
जो हुआ करता था
वो बोला, इतराता था मै
अपने साथियों पे,
जो हर वक्त साथ रहते थे
पर क्या पता था,
वक्त सबको जुदा करता है
कहते है ये सब
खुदा करता है
अब तक जिंदा था
उस अंधेरे कोने में
कि यहां यादें तो रहती है
वो महफ़िल वो गाने
वो टूटने की आवाज तो रहती है
पर अब, पता नहीं कहा जाऊंगा
किसी कचरे के ढेर में दब जाऊंगा
या फिर उठा लेगा मुझे
कोई बीन ते हुए कांचो को
और भट्टी कि गरम
लप टों में पिघला जाऊंगा
पर दोस्त मत छोड़ना तू
अपने दोस्तो कि यांदे
क्या पता फिर किसी दिन
तेरी महफ़िल में
नई बोतल बन कर आऊंगा
तेरी महफ़िल के
वहीं गीत सुन पाऊंगा
तुझे अपने होठों से
हर जाम पिलाऊंगा
हर खुशी हर हम में
आपस में टकराउंगा
फिर टूटूंगा बिखर जाऊंगा
और खुद को फिर
इसी कोने में पाऊंगा
- देव
Bahut khoob