राम नहीं बनना मुझको…

राम नहीं बनना मुझको

पिता को मृत्यु शैय्या पर छोड़
वनवास नहीं जाना मुझको
व्यर्थ तुम्हारे प्रयास सभी
राम नहीं बनना मुझको

प्राण प्रिए प्रजा के हित को
ठुकरा कर एक प्रण के लिए
छोड़कर, माता का कृंदन
वनवास नहीं जाना मुझको

राम नहीं बनना मुझको

दर्द भ्राता का ना समझ सका
स्त्री को संग वन लेकर चला
जिस माता के पाव में पड़ता हूं
उसको पग लगा कैसे जीवन दू
भगवान नहीं बनना मुझको

राम नहीं बनना मुझको

सीता सती क्यूं बन जाए
क्यूं अग्नि परीक्षा ली जाए
क्यूं धोबी के कारण अर्धांगिनी मेरी
वन में बच्चे जनने जाए
अपौरुषय पौरुष नहीं बनना मुझको

राम नहीं बनना मुझको

देव

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