यहां कुछ और भी परिंदे है
माना, वो दिखने में थोड़े गंदे है
पर, घोसले वो भी बनाते है
बच्चो को, वो भी,
माना उतने प्यार से नहीं,
पर हाथो से खिलाते है।
उड़ना, चाहे तो, छू सकते है आसमां
पर, जमीं से ही मोहब्बत है
और जमीं के ही, हो जाते है
दर्द उनको भी होता है
सीने में उनके भी दिल धड़कता है
पर, वो ना बोल पाते है
ना, आंसुओ बहाते है
सपनो का अपने, दामन छोड़ कर
यूं नन्हे हाथो को, थामते है
वो यू ही नहीं बाप कहलाते है
वो यू ही नहीं बाप कहलाते है
देव