तेरे अपने, तेरे सपने
तेरी आरजू ही जब छोड़ जाएगी।
तुझे उस पल, इक बार जरूर
मेरी याद आएगी।।
मैं वक़्त नहीं, जो इक बार
गुजर जाऊं, तो फिर ना आऊंगा
तेरी जिंदगी के हर सफर में
मुसाफिर बन तकराऊंगा
तू मुझसे दूर कितना,
और जितना दूर जाएगी
मेरी मोहब्बत तुझको मेरे करीब
और करीब लाएगी
रातों में तन्हा जब तू
बदलेगी करवटें अपनी
हाथो से निंदो में टटोलेगी
घबरा के उठ तू जाएगी
मुझे इक बार बसा ले
दिल में अपने, इतना काफी है
जतन हजार करले, भूल मुझको
तू कभी ना पाएगी।
देव