आंखो में रांते गुजरती है

रंगो से भर जिंदगी मेरी,
मेरे रंगो को भर लो तुम
क्यूं, है दूरी, पल की भी
समा लो मुझको खुद में तुम

नहीं अब सबर तिल भर का
नहीं, शामें गुजरती है
करवटें, यू ही बदलते है
आंखो में रांते गुजरती है

देव

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