मृत्यु, सत्य है…

मृत्यु, सत्य है,
और मुझे भी जाना है एक दिन।
फिर क्यूं घबराऊं,
ऐसा क्या है, कि अपने ख्वाबों का,
जिक्र भी ना कर पाऊं।।

जीते जी, अपने ख्वाबों को,
जीने का जिम्मा मेरा है।
बच्चो मेरे, मृत्यु पश्चात,
सपने पूरे करने,
जिम्मा तेरा है।।

जिया है मैंने आधा जीवन,
देखी इसमें खुशियां अपार।
नहीं मिलने का गम नहीं है मुझको,
ना बची कोई इच्छा अपार।।

अन्तिम समय में, मुझको देना,
शांत मौत का तुम उपहार।
ध्यान रहे, ना करे मशक्कत,
जिंदा रखने की, डॉक्टर चार।।

ना जलाना, ना दफनाना,
ना प्रपंच बुलाऊ रिश्तेदार चार।
मेरा हर अंग, जीवन दे किसी को,
शरीर मेरा करना तुम दान।।

नहीं चाहिए, रोना धोना,
नहीं चाहिए पाखंड हजार।
खुशी मानना, जो पाया मैंने,
चाहे जियू में बरस चार।।

दुख ना करना, खोने का मुझको,
रहूंगा यही, तुम्हारे आस पास।
ख़ुद में पाओगे, अंश मेरा,
जब मूंदोगे अखियां, करके याद।।

जीना तुमको, सिखलाया मैंने,
आगे बढ़ना है, तुम नहीं लाचार।
मेरा नाम, रोशन करने का,
जिम्मा तेरा है, मेरे लाल।।

देव

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