बस, थाम लो हाथ मेरा,
कब से अकेली हूं मैं।
तेरे इंतज़ार में,
सदियां गुज़र गई।।
अब तो हर पल की,
टिक टिक भी सुनाई देती है।
दस्तक तेरे आने की,
सुनने को बैचेनी रहती है।।
तू है, यहीं कहीं है,
ये पता है मुझको।
कब होगा दीदार ए यार
नज़रे तरसती रहती हैं।।
अब तो हर नमाज़ में मेरी
तेरी आरजू रहती है।
जब भी हाथ उठते है दुआ को,
लबों पर बस तेरी ख्वाहिश होती है।।
देव