मुरली की मधुर धुन सुन
करे गोपियां गुन गुन गुन
बाजे पायलियां छन छन छन
देखो खों गया सबका चितवन
सुन धुन कर कन्हैया की
चले नदिया बलखाके
देखो, लहरे उछलती जावें
हवा मंद मंद बहती जावे
ये क्या रंग है डाला
प्यार में बही बाला
गोपियां भटक भटक जावे
गगरी छलक छलक जावे
वो बाल गोपाला है
जो चित को चुरा डाले
सुना मधुर मुरलिया अपनी
पल में अपना बना डाले
खिल सावला रंग उसका
मन मूरत बन जावे
उसकी मंद हंसी से तो
गोपियां बिन वार के मर जावे
अब जाए कैसे छोर
जो सबको मन को रिझाए
मनमोहक श्याम की हो
गोपियां भूल जग रास रचाए
देव