बला की खूबसूरत ये जमीं नजर आती थी
जब, आज वो सारी का पल्लू, हाथ से सम्हाले नजर आईं थीं
उसका आज कुछ अलग ही अंदाज था
जैसे सारी के पल्लू में छिपाया कोई राज था
बड़े अदब से, सलीके से, बैठी थी संग में
कैसे देख ले झलक, तनिक भर, जुर्रत है किसमे
रौब भी उसका , उसकी साड़ी को जंचता सा था
जैसे कह रही हो, तेरे लिए ही मुझे बना था
देव