कुछ दर्द इस दिल में भी,
छुपे रहते है।
वक़्त के दरिया में,
बस यूं ही, बह जाते है।
और कभी लाख कोशिश,
करे रोकने की तो क्या,
ग़ज़ल बन, मेरे होठों से
निकल आते है।
देव
कुछ दर्द इस दिल में भी,
छुपे रहते है।
वक़्त के दरिया में,
बस यूं ही, बह जाते है।
और कभी लाख कोशिश,
करे रोकने की तो क्या,
ग़ज़ल बन, मेरे होठों से
निकल आते है।
देव