दिवाली है थोड़ी देर और पीने दे

आज भी रात, जब तू निकलती है,
घुंघरुओं की छन छन, बजती है,
सुनसान वादियों में, तेरे मीठे गले से,
निकलती आवाज, गूंजती है,

हजारों साल हो गए, किस्से तेरे सुनते सुनते,
देखा, तुझे बहुतों ने, कईयों ने तुझे महसूस किया,
कहीं दीप जले कहीं दिल, की तेरी ताल पर,
टल्ली लोगों ने बहुत डांस किया,

बस, अब और ना डरा,
थोड़ा तो हमें जीने दे,
12 बज गए तो क्या, दिवाली है
थोड़ी देर और पीने दे

देव

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