ये वादियां, और हाथ में चाय की प्याली,
कुछ वक़्त ही सही, थोड़ा बैठो तो खाली,
गुजारो कुछ पल, समंदर में पहाड़ों के,
सफेदी की चादर, ओडे जो बैठे,
निहारूं इन्हे या, खो जाऊं इनमें,
ख्वाहिश है मेरी, इनकी हो जाऊ पल में,
काश, कोई होता, जो पीता साथ प्याली,
सच कहती हूं मैं, बिता देती जिंदगानी।।
देव