यूं ही अगर रूठते रहोगे, तो कौन मनाएगा,
मन्नते करते करते, हर कोई थक जाएगा,
तन्हा थे कभी, फिर तन्हा रह जाओगे,
बिस्तर भी, एक दिन, बेगाना हो जाएगा,
आंसू बहने से पहले, जो पल में पहुंच जाते थे कभी,
लाख बुलाने पर भी, सम्हालते नहीं कोई आएगा,
छोर दो, अहम तो रावण का भी ना चला,
जीलो खुश हो कर, ना जाने कब, बुलावा आयेगा,
और, कह रहा हूं,अपने है, तभी तो फिक्र है कर रहे,
वरना, रिश्ता कांच का है, पल में बिखर जाएगा।।
देव