पापा

आज भी, जब परेशां होती हूं,
तो आपके पास होती हूं,
और तुम्हारी हल्की सी हसीं,
मुझे विश्वास देती है,

याद है, बचपन में कैसे,
जब मैं किसी बात पर रोटी थी,
तुम प्यार से सिर पर हाथ फेर,
मुझे गले लगाते थे,
और प्यार से मेरे माथे को चूम,
कहते थे, मैं हूं ना,
और आज भी, जब मैं,
विचलित होती हूं, तो कहती हूं,
तुम हो ना,

तुम्हारी अंगुली, जो जाने अनजाने,
मेरे पास होने के, बस आभास पर,
थामने को बढ़ जाती थी,
बस मेरी गिरने की फिक्र,
पल में खो जाती थी,

जो फक्र, मुझे तब था,
पापा तुम्हे कहने में,
आज भी सिर उठा कर,
आपकी बेटी बन,
आपके दामन में,
महसूस कर पाती हूं,

देखो, अब तो मैं बड़ी,
हो गई हूं, लेकिन
आज भी, मेरी हिम्मत,
कहीं ना कहीं तुमसे आती है,
तुम्हारे खिलखिलाते चेहरे को देख,
पल में, मेरी परेशानियां,
हवा हो जाती है,

तुम्हारा हाथ रहे सदा,
सिर पर मेरे,
खिलखिलाता चेहरा रहे सदा
और लंबी उम्र हो तुम्हारी
बस, यही दुआ,
खुदा से हर नमाज़ में,
अर्ज़ फरमाती हूं।।

देव

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