कदमों के निशा छोड़ जाऊंगा,
जब, मैं ना रहूंगा, याद बहुत आऊंगा,
माना, तेरे बागीचे में, है गुलिस्ता खिला,
तेरी सोंधी खुशबू , कौन जान पाएगा,
मरहम तो दर्द पर, लगाते है बहुत,
दर्द लेले जो तेरे, वो यार कहा मिल पाएगा,
ग़ालिब भी बोल रहा होगा, खुदा से,
इसको भी बुला लिया, शायरी कौन सुनाएगा।
देव