यही तो सीखना है,
ना का मतलब ना होता है,
बताना है।
पूछा था उसने, तुम अपने बेटे को,
बड़ा डांटते हो,
हां, डांटता हूं, मगर प्यार भी बहुत करता हूं,
दिन में कई बार, गले भी मिलता हूं,
मगर डांटना भी जरूरी है,
बेटा जो है, उसे पता होना चाहिए,
इज्जत किस तरह देनी चाहिए,
आज मेरा बेटा है,
कल किसी का पति भी होगा,
जो आज सीखेगा, तभी को इज्जत देगा,
पाना आसान नहीं होता,
और मुश्किल होता है, अच्छा रह पाना,
और किसी के ना कहने को समझ पाना।।
देव