रुको जरा, ये लोकडाउन तो खुल जाने दो,
जरा, मेरे किचेन में, कुछ और ,
सामान तो आने दो,
थोड़ा, यारो को मेरे घर तो आने दो,
दो चार पेग, मिल बैठ कर लगाने दो,
फिर से वहीं महफ़िल,
वही रंगत जम जाने दो,
तब तक, बस तब तक ही सही,
कुछ तुम बनाओ,
कुछ हम बनाए,
वक़्त कम कम ही रहा है,
इंतेज़ार का,
आओ, थोड़ा हस ले,
थोड़ा गाए।।
देव