कान्हा, तुम छोड़ चले, क्यूं ब्रज को,
कान्हा, तुम छोड़ चले, क्यूं ब्रज को,
तर तर अश्रु, धारा बहती, -२
क्या जतन करे, रोकन को,
कान्हा, तुम…..
बांसुरी तेरी, जीवन है सबका -२
कैसे सांस रहेगी, अब तन को,
कान्हा, तुम…
गोपियां, गैया, गोकुल की गलियां, -२
कोई नहीं अब, यमुना तीरण को,
कान्हा, तुम…
राधा संग क्यूं, प्रेम जताया,
तुलसी वन में, क्यूं रास रचाया,
जब, मन में था, छोड़न को,
कान्हा, तुम छोड़ चले, क्यूं ब्रज को,
कान्हा, तुम छोड़ चले, क्यूं ब्रज को।।
देव