लगती है वो, मेरी हमसफ़र सी

कभी बेखबर सी, कभी बेसबर सी,
लगती है वो, मेरी हमसफ़र सी,

बताती भी है, राज वो अपने,
सुनाती भी है, सपने वो अपने,
कभी रुसवा होती, कभी मुस्कुराती,
यूं तो है बड़ी शांत, अक्सर है घबराती,
कभी सुबह सी, कभी शाम सी,
लगती है वो, मेरे जज्बात सी,

पूछे वो कैसे, नहीं जानती जो,
मेरी हकीकत, की राजदार है वो,
किस्से बहुत है, मेरे बिखरे जहां में,
नहीं फिक्र, कहे कुछ भी, कोई तो आके,
कभी यार सी, कभी प्यार सी,
लगती है वों मेरी, कायनात सी।

देव

20 may 2020

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