पर्यावरण का हर कण खुश है।

ये क्या महामारी आईं है,
क्या सच में महामारी आईं है,
या धरा को बचाने, भगवान ने,
कोई नई चाल चलाई है,

क्यूं फिर से आकाश, नीला है,
क्यूं नदियों का जल, निर्मल सा है,
क्यूं, जंगल फिर से हरे भरे,
क्यूं, मौसम बदला बदला सा है,

क्यूं, कलरव करते पक्षी फिर से,
क्यूं, बादल आ गए, बिन मौसम के,
क्यूं, क्रीड़ा करते, घूमे बछड़े,
क्यूं, जानवर, शहरों को मुड़ गए,

क्यूं, दिखता नहीं प्रदूषण जरा सा,
क्यूं, हो गया, हिमालय बड़ा सा,
क्यूं, हवा में घुली, मिठास है अब,
क्यूं, छत पर सोने में, आए मजा सा,

क्यूं, नई सुबह, हर शाम नई है,
क्यूं, बच्चो के मुख, मुस्कान नई है,
क्यूं, सूने घर, अब दीप जले है,
क्यूं, बिन चिंगारी, दीवाली मने है,

धरती खुश, अब अम्बर खुश है,
नदियां खुश, अब जंगल खुश है,
खुश है जीव, जंतु भी खुश है,
पर्यावरण का हर कण खुश है।।

देव

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