मैं जरा उड़ना चाहता हूं।।

परिंदा बन, दूर तक जाना चाहता हूं,
मैं जरा उड़ना चाहता हूं।

कब तक रहूंगा, बंदिशों में जमाने की,
कैद हो घर की, चारदीवारी में,
दूर, बहुत दूर, तक जाना चाहता हूं,
मैं जरा उड़ना चाहता हूं।

फिक्र सारी जला, बेपरवाही की आग में,
ख्वाबों जो सजाए है अपने वास्ते,
उन ख्वाबों को जीना चाहता हूं,
मैं जरा उड़ना चाहता हूं।

परिंदा बन, दूर तक जाना चाहता हूं,
मैं जरा उड़ना चाहता हूं।।

देव

3 जुलाई 2020

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