जरा अलग क्या, बना दिया खुदा ने,
इंसा ने मुझे, इश्तहार बना डाला।
मेरे यौवन में, अपनी ख्वाहिशों का,
बाज़ार लगा डाला, यू तो, बैठाया है,
मुझे मंदिर के मंडप में, और कोठों में,
दीवानगी का, दरबार लगा डाला।
देव
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जरा अलग क्या, बना दिया खुदा ने,
इंसा ने मुझे, इश्तहार बना डाला।
मेरे यौवन में, अपनी ख्वाहिशों का,
बाज़ार लगा डाला, यू तो, बैठाया है,
मुझे मंदिर के मंडप में, और कोठों में,
दीवानगी का, दरबार लगा डाला।
देव