खुला आकाश है, छू जाने दो,
पर ना कतरो, उड़ जाने दो।
जह़न मे जो, बसाया है, बचपन से,
उन बेमानी मकसदों को हटाना है,
गिराकर दीवारें बेमानी,
हवा के साथ, बह जाने दो।।
सही गलत के मायने, समझते है,
नफ़रत को इश्क़ में, बदलते है,
तोड़ कर बंदिशे, ज़माने की,
हमे भी कुछ, कर गुजर जाने दो।।
खुला आकाश है, छू जाने दो,
पर ना कतरो, उड़ जाने दो।
देव
21/12/2020, 11:28 pm