मुस्कुरा कर हर मुसीबत से,
लड़े जा रही है,
कुछ पल ठहर, रास्ते,
तके जा रही है।
मंजिल पता तो है, नज़र
नहीं आ रही है,
ज़मीं और गगन के बीच, कहीं
बुला तो रही है।
थमे कदम है कुछ पल,
रुके तो नहीं है,
सांसे भरी है मगर अब भी,
चले जा रही है।
अकेली है वो यहां पर,
तन्हा नहीं है,
नक्शे कदम पर उसके,दुनिया
चले जा रही है।।
देव
22/12/2020, 10:50 pm