मैं हकीक़त हूंँ,

रोक तो सकते है, मगरतुम रुकोगी, कुछ ना कहोगी,कैसे यकींन करे,ख्वाहिशें जो है तुम्हारी,उन्हे समझा कर, संग चलोगी,कैसे यकींन करे।मैं वो नहीं, जो ख्वाबों मेंतेरे आता है रात रोज,मैं हकीक़त हूंँ, चाहत रखता हूंँ,मगर हकीक़त मे जीता हूंँ रोज।देव29/01/2021, 12:00 pm

मोह

प्रेम, वो प्रेम ही तो था,जो राधा संग बस कृष्ण थे,बांसुरी की धुन थी,राधा मंत्रमुग्ध थी।कहते है, बिछोह था,मगर, वो कहां मोह था,जब प्रेम बसा हो मन में,तो शरीर बड़ा तुच्छ था।देव29/01/2021, 9:39 am

ख्वाहिश जीने कि

बस, चलती रही, सब छूटता सा गया,ख्वाबों को मेरे, कोई अंत नहीं मिला,साथी मिले, कोई हमसफर ना बना,शायद, कोई मेरी ख्वाहिशों का ना था।बहुत चल ली, अब थक सी गई हूॅं,जिन्दगी से बहुत दूर निकल गई हूंँ,बस, थम जाऊं, थाम लू हाथ कोई,ख्वाहिश जीने कि करने लगी हूंँ।।देव29/01/2021, 9:15 am

अक्सर मैं, मैं नहीं रहती

यूं ही नहीं, अक्सरअपनी अंगुलियों सेखेलती हूंँ मै,तुमसे मुलाक़ात के,बचे पल, गिनती हूंँ मैं,अक्सर, बेबात ही,आंसू छलक जाते है मेरे,तेरे रुमाल को,लगा चेहरे से,महसूस तुझे करती हूंँ मैं।बंद कर पलकें,अक्सर सो जाती हूंँ मैं,तेरे संग, बिताए हंसीलम्हों में खो जाती हुॅं मैं।अक्सर मैं, मैं नहीं रहती,तू हो जाती हूंँ मैं।।देव29/01/2021, 9:06 am

कुछ किस्से!

कुछ किस्से, कुछ यारो के ख़्वाब,कुछ दिलो के अरमान, सुन लिए।कुछ यादें, कुछ बातें, कुछ मुलाकाते,कुछ अनमोल लम्हे, कैद कर लिए।देव28/01/2021, 8:16 pm

काश मेरे पंख होते!

काश। मेरे पंख होते,उड़ जाती दूर गगन में,छूकर सितारों को पल में,तकती धरती को गगन से,चांद पर एक महल बनाती,सूरज से रोशन करवाती,मंगल बुध, सेवा में होते,शनि शुक्र हवा कर रहे होते।काश। ख्वाबों का एक दरवाजा होता,उस दरवाजे तक, एक रास्ता होता,नींद कहा आती फिर मुझको,अक्सर, सपनो के राज महल में,मेरा बचपन बीता होता,पेड़ों पर … Continue reading काश मेरे पंख होते!

मेरी जिन्दगी कि नसीहत है।।

इश्क़ यूँ ही नहीं, कि थम जाए,दो पल में हो जाए या मिट जाए।तू खुदा की इनायत है,खुदा वही है, जहां मोहब्बत है।कैसे भुला दू, तुझे यू ही,मेरे ज़हन में, तेरी रवायत है।तू कैफियत है, तू खेरियत है,मेरी जिन्दगी कि, तू नसीहत है।।देव27/01/2021, 6:47 am

भारतीय हम बन जाते है।।

गणतंत्र दिवस कि हार्दिक शुभकामनाओं के साथ, चंद पंक्तियां भारतीयों के लिए।।चलो, इस गणतंत्र कुछ अलग करते है,संविधान फिर से पढते है,बहुत हो गया वक्त,कुछ याद है, कुछ भूल गए,शायद, सब एक समान है,कि पंक्तियां भूल गए,तभी तो अब भी, धर्म, जाती,और लिंग का बॉक्स,हर फॉर्म मे होता है,जाती प्रमाण पत्र के बिना,काम कहा चलता … Continue reading भारतीय हम बन जाते है।।

आजादी का डंका !

यूं तो आजादी की आग,हर तरफ थी लगी,कहीं अहिंसा के पुजारीकहीं शीशों की लड़ी।मगर कहीं से एक,और महात्मा आयाजिसने खून के बदलेआजादी का डंका था बजाया।ना जात, ना पातना धर्म की परवाह थीदेश के लिए शहीद होनेहर कौम तैयार थी।ब्रिटिश से लड़ने को,जापान से हाथ मिलाया,विश्व युद्ध का वक्त था,विहंगम दृश्य था पाया।धन की जब … Continue reading आजादी का डंका !

आइना!

आज देखा जब आइना,मेरा अक्स ना था,शायद, उसका इश्क़ मुझसे बेहतर था,जो उसके साथ गया।देव25/01/2021, 4:44 pm

नया दिन है, नया सवेरा है।।

नया दिन है, नया सवेरा है,रात का नहीं, अब अंधेरा है।सूरज की किरण, जगमगा रही है,बाग में कलिया, खिलखिला रही है।दर्द का नहीं अब बसेरा है,नया दिन है, नया सवेरा है।चेहरे पर देखो, मुस्कुराहट है,जिन्दगी ने दी, फिर से दस्तक है,दिलो मे खुशियों, का डेरा है,नया दिन है, नया सवेरा है।ख्वाब, बस ख्वाब नहीं, हक़ीक़त … Continue reading नया दिन है, नया सवेरा है।।

कुछ कदम साथ चलते है।।

ज्यादा का पता नहीं, मगरथोड़ी ही सही, खुशियां बांट लेते हैचलो, कुछ कदम साथ चलते है।थाम कर हाथ में हाथ,कुछ तुम्हारी, कुछ मेरी,बात करते है, छिपे हैकिस्से कई अपने,कुछ खुशी के, कुछ गम के,चलो, हम बता देते है।चलो, कुछ कदम साथ चलते है।वो को तेरे आंसू है, जोअक्सर छलक जाते है,तेरी नज़रों से निकाल,मेरी आंखो … Continue reading कुछ कदम साथ चलते है।।

मैं, मैं कहाँ, जो तुम नहीं।।

तुम हो ना, तो बेफिक्र सा हूँ मैं,पास नहीं, मगर ज़हन मे सही।हाँ, जब व्यस्त हूंँ, तोबस व्यस्त रहता हूँ मैं,मगर जब मैं, मेरे साथ हूंँ,बस तुम्हे सोचता हूंँ मैं।लोग कहते है, बदल गया हूंँ मैं,अक्सर, खुद मे मशगूल रहता हूंँ मैं,मगर, मैं, मुझ में समाई तुम से,गुफ्तगू करता रहता हूंँ मै।मैं खुश हूंँ, क्यूं … Continue reading मैं, मैं कहाँ, जो तुम नहीं।।

कुछ कदम साथ चलेंगे,

कदम कुछ साथ चलेंगे,तो कदम मिलंगे,यूं ही नहीं सफर,जिन्दगी के गुजरेंगे।सवाल लाख हो पास,अक्सर जवाब करीब होता,ज़हन हो हावी जब,कभी प्यार नहीं है होता।थाम हाथ में हाथ,कुछ वक्त गुजारो साथ,दिल से दिल बतियाते है तो,नहीं लब्जों का काम है होता।देव24/01/2021, 10:32 am

कुछ सपने, कुछ ख्वाहिशें!

कुछ सपने, कुछ ख्वाहिशें,और ज़माने की ये बंदिशे,कुछ फिक्र कल की,कुछ आज की सोच,यूं तो रात है गहरी,और सुबह नशेमन्नऔर इश्क़ है कहा,है, तो काफी कम।कुछ किस्से, कुछ कहानियाँ,कुछ अपनी, कुछ बेगानियाकुछ फिक्र मे डूबे से,कुछ बेफिक्र जिंदगीयाॅंअधजगी सी रातें,भरी धूप का गरम - पनऔर इश्क़ है कहाँ,है, तो बहुत कम।।देव24/01/2021, 10:31 am

हाँ तुम साथ हो।

गिर भी गया तो, फिर चल दूंगा, थाम हाथ तुम्हारा, बढ़ लूंगा,बिछा कर फूल, कदमों में तुम्हारे,कांटे तेरे, अपने नाम कर लूंगा,खुशियां तेरी, गम मेरे नाम हो,गर तुम, हाँ तुम साथ हो।23/01/2021, 3:22 pm

उंगलियाँ उठाते हैं!

वो करे तो शौक है,हम करे तो बेशरम, क्यूं लोग, यू ही,उंगलियाँ उठाते है,क्यूं हमसे उम्मीद की,एक नय फेरहिस्त बनाते है।हम अकेले है,ये कोई शौक नहीं हमे,वक्त ने जो किया,झेला हर जख्म हमने,ना जाने कैसी,हमदर्दी लोग दिखाते है,जख्म को कुरेदते है,और मलहम लगाते है।बढ़ गए है, काफी आगेभूल कर गिले शिकवे,ना उम्मीद अपनो से,ना गैरो … Continue reading उंगलियाँ उठाते हैं!