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ख़्वाब

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मेरे ख्वाब, मेरी हकीकत बयां करते है
वहा भी नहीं कोई परिंदा,
यहां भी तन्हा रहते है

कब हम, इश्क है उनसे बोल पाएंगे
कब वो, बाहों में अपनी हमे समाएंगे

गुजर जाएगी, उम्र यू ही इंतजार में उनके
ना हम, इश्क है बोलेंगे
ना वो समझ पाएंगे

कब हम, इश्क है उनसे बोल पाएंगे
कब वो, बाहों में अपनी हमे समाएंगे

थामते हैं, हाथ मेरा अक्सर रास्तों में
क्या वो, दूर तक जाएंगे
या यूं ही कहीं छोर जाएंगे

कब हम, इश्क है उनसे बोल पाएंगे
कब वो, बाहों में अपनी हमे समाएंगे

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