कल फिर से, तुम गुजरना!

कुछ पल, तेरे माथे पर,
पल्लू क्या रह गया,
ना जाने कितनी, नज़रों ने
रुक कर तुम्हे देखा।

जो दिख रहा था,
छिपा था उससे कहीं ज्यादा,
कोशिश बहुत थी नज़रों की,
और पलको ने रोक दिया।

कल फिर से, तुम गुजरना,
यूं डाल कर पल्लू,
कल फिर से होगा हुजूम,
तेरे जलवे को देखने।

देव

17/11/2020, 11:03 pm

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