इश्क़ रूहानी

बस लिखता ही तो हूं
पाबंदी लिखने पर ना लगाओ
वरना, तारीफ़ तेरी कैसे
और कौन करेगा

इश्क़ के नाम पर
हुस्न को चाहते तो बहुत है
इश्क़ के बिना, तेरी तरफदारी
और कौन करेगा

रोज बस तकता ही तो हूं
लोग तो घूरते है तुझे राहों में
तुझे देखे बिना, तेरा चेहरा याद
और कौन करेगा

तुझे पाने की, जहां देखो
बड़ी होड़ मची है
तुझे पाए बिना, इश्क़ रूहानी
और कौन करेगा

देव

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