परिंदा बन, दूर तक जाना चाहतीं हूं

A melodious song for my lovely audience Writer Dev परिंदा बन, दूर तक जाना चाहतीं हूं | Official Music Video | Song | DevKeDilSe | DevKeDilKiBaat https://youtu.be/_QmgOZ5HPbs

तलाश में खुद की, वक्त बिताते है।

जिंदगी, कुछ जीने की चाह हैं, और यूं नही, कि नही राह हैं, मगर, कदम बढ़ते ही, रूक जाते हैं, कश्म ए कश में पड़ जाते हैं। कुछ अपनी ही, पाबंदियां हैं, कुछ अपनो की, ज्यादतियां हैं, ख्वाहिशें हैं, और उम्मीद गायब, बस यही सोच में पड़ जाते हैं। बहना चाहते थे, और बंध गए … Continue reading तलाश में खुद की, वक्त बिताते है।

Random Thoughts

[24/07, 7:43 pm] Dev… Devkedilkibaat.Com: कहां है जिंदगी, ढूंढा हर जगह,तलाश भी तेरे आगोश में, ख़तम हुई मेरी।। देव[24/07, 7:45 pm] Dev… Devkedilkibaat.Com: अल्फ़ाज़ तेरे, घर कर गए,जेहन में मेरे यूं,तू हो कहीं, पर है यही,कहीं करीब मेरे।। देव[28/07, 11:05 am] Dev… Devkedilkibaat.Com: Sometimes co-incidentaly,life takes us to unexpected route,what we love most,but there is … Continue reading Random Thoughts

मेरे इश्क़ में यही, खामियाजा है,खुद से कम, तुझसे ज्यादा है।।

मेरे इश्क़ में यही, खामियाजा है,खुद से कम, तुझसे ज्यादा है।। तेरे इश्क़ में, यही खामियाजा है,मुझ से कम, खुद से ज्यादा है।। रह गया, मैं कहीं पीछे,तू पल में, आगे चल पड़ी,मंजिले मेरी तू बनी,तेरी राहें, मुझसे ना मिली,वक़्त कम, रास्ता आधा है। खुद से कम, तुझसे ज्यादा है… इश्क़ है, तो कह दो … Continue reading मेरे इश्क़ में यही, खामियाजा है,खुद से कम, तुझसे ज्यादा है।।

राधे – कृष्ण का ये रूप है।

बड़े मोहक से,राधा में कृष्ण बसे,मुरली की धुन पर देखो,कैसे गोपियां चले। रंग राधा का पाया,कृष्णा स्वरूप अपनाया,बांसुरी दाले कमर में,मोर पंख माथे लगाया। रूप कैसे ना होवे,कृष्णा जो आन बसे,राधा स्वयं, क्यूं ना दिखेकृष्णा का, रूप धरे। रूप तेरा प्रखर है,स्वयं प्रभु का, स्वर है,तेरी आभा प्रचुर है,राधे - कृष्ण का ये रूप है।। … Continue reading राधे – कृष्ण का ये रूप है।

तिरंगा

मिटा दू मैं अपनी पहचान, तेरे वास्ते पल मेंतू मुझको, तेरे होने का अहसास करा दे, तू है वही, जो मिलता है, हर साल दो बार,तू हर रोज, हर गली में मिल कर दिखा दे, है इश्क़ आज भी मझे, हद से ज्यादा, तुझसे,है इश्क़ तुझे मुझसे, तो आज दिखा दे, निकलूंगा पहन तिरंगा, बेखौफ … Continue reading तिरंगा

तेरे साथ कुछ पल में, बरसो जी लेता हूं,

तेरे साथ कुछ पल में,बरसो जी लेता हूं,तेरी याद में, अक्सर,दो जाम पी लेता हूं। कौन कहता है नशा,शराब की तासीर है,फिर क्यूं, तेरी नज़रों को,देख, नशा होता है।। तेरी याद में…. मेरी रूह, तेरी रूह को,जानती है कुछ यू कि,तू ना मिले, तेरी यादों में,वक़्त गुजार लेता हूं।। तेरी याद में…. लोग तो यूं … Continue reading तेरे साथ कुछ पल में, बरसो जी लेता हूं,

उसके एक दीदार का असर,मुझे जड़ सा, कर गया था।।

आज यू ही, उसकी गली में,जाना हुआ, और उसका,सही वक़्त पर, देहलीजसे बाहर आना हुआ,यूं ही नहीं, नजरें उसकाइंतेज़ार करती है, उसके,गुजरने पर, यू ही नहीं,सबकी निगाह रहती है,और आज, आज तो जैसे,रोशन यू ही नहीं, मोहल्ला है,उसके कांधे से लटकता, साड़ी का,पल्लू, उसके हाथो में घुमा हैबंधेज की नीली साड़ी में,कुछ ज्यादा ही, जुर्म … Continue reading उसके एक दीदार का असर,मुझे जड़ सा, कर गया था।।

मुझे मेरी जिंदगी से, मिला गई

जिंदगी, खड़ी इंतेज़ार कर रही होगीउसी मोड़ पर, जो कभी, छूट गया था, मंजिल की तलाश में, जो ना मेरी थी,अफसोस, फिर भी चले जा रहा था परायों के शहर में, अनजान था मगर,गरूर से, अपना बता रहा था, वो तो, शुक्र है, जिसे सबने कोसा, वही मुझेमेरी मंजिल से, मिलाने चल पड़ी, जिससे जिंदगी … Continue reading मुझे मेरी जिंदगी से, मिला गई

बस तेरा नाम, लिखता गया

मुस्कुरा कर, बड़ी आसानी से,कह गई वो हाल ए दिल,और हतप्रभ सा खड़ा,देखता, मैं रह गया। यूं तो बातें जमाने, भर की,करी तसल्ली से उससे,बस उसकी, तारीफ में,लब्ज़ ढूंढता मैं रह गया।। वक़्त, कहां कम रहा,मेरे खाते में कभी,उसके करीब कुछ पल में,दिन पूरा, गुज़र गया।। कई किस्से, कहानियां,लिखी है मेरी किताबों में,हर किरदार को … Continue reading बस तेरा नाम, लिखता गया

तेरी मुस्कुराहट बता रही है,

कुछ तो बात है, तेरीमुस्कुराहट बता रही है,ये फूल है, या तेरीभिनी भिनि खुशबू,जो उपवन को,महका रही है, लगता है,गुल ने भी तेरे लबों से,लिया है कुछ रंग उधार,तभी तो इतना, इतरा रहा है,यूं ही नहीं, घुमा कर चेहरा अपना,एक दीदार के लिए,सबको यू तड़पा रहा है,तेरी नज़रों का, कुछ तो असर है,यूं ही नहीं … Continue reading तेरी मुस्कुराहट बता रही है,

जाने कितना चला,जाने कितना रुका

रुक रुक कर चला,चल चल कर रुका,जाने कितना चला,जाने कितना रुका।। कभी सांसे चढ़ी,कभी सांसे थमी,डगमग डगमग,कभी चाल हुई।कभी सूरज था,कभी रात हुई,कितनी शाम सुबह,कब निकल गई। मैं चलता गया,बस चलता गया।। कुछ साथ मिले,कुछ। छूट गए,कुछ अनजाने थे,पर। चलते। रहे,कभी नज़रे उठी,कभी नज़रे झुकी,कभी नज़रे मिला,नज़रों बेगानी हुई। मैं चलता गया,बस चलता गया,जाने कितना … Continue reading जाने कितना चला,जाने कितना रुका

मग्शूल हूं, मैं उसमें,वो तल्लीन सी, है मुझमें

इश्क़ है पर, मंजिल कहां,बस रास्ते है, और रास्ते,थामे दामन, यार का,चलते चले, हम राह पे। रुकते कभी, मुड़ते कभी,क्या होगा कल, ना सोचा कभी,देखे जमाना, अक्सर यहांबेखौफ से, है हम यहां। शाम क्या, और क्या सुबह,रात गुजरती है बे वजह,मग्शूल हूं, मैं उसमें,वो तल्लीन सी, है मुझमें। देव 06 August 2020

जरा बता दे, तेरे लबों पर, ये निशानी क्यूं है।

तेरी हंसी में, कुछ अलग बात है आजजरा बता दे हमे, क्या है इसका राज, मुस्कुरा कर, खुद ही से, शर्मा क्यूं जाती है,कौन है वो, जिसके पहलू में, तू छुप जाती है, बेसबर रहती है, क्यूं आजकल, बता दे जरा,ये इंतेज़ार है, क्या उसका, जिससे था इश्क़ करा, यूं ही अनजान सी शाम में, … Continue reading जरा बता दे, तेरे लबों पर, ये निशानी क्यूं है।

तेरा दीदार कर, दिलो को सुकून मिलता है।

तेरे हुस्न का आलम, फिजाओं पर दिखता है,कहा हवाओं में वरना, सुरूर होता है, तेरे केषुओ की खुशबू से, गुलाब गुल होता है,तेरे कहकहों की बारिश से, फूलों से चमन खिलता है। तू है, तभी तो हम है, हम है वही, जहां तुम हो,तेरा दीदार कर, दिलो को सुकून मिलता है।। देव 04 August 2020

तेरी हंसी के सदके, ये जहां कर दू,

तेरी हंसी के सदके, ये जहां कर दू,मैं तेरे नाम, कुरबा अपना नाम कर दूं। तेरे हुस्न का आलम, फिजाओं पर दिखता है,कहा हवाओं में वरना, सुरूर होता है, तेरे केषुओ की खुशबू से, गुलाब में गुल होता है,तेरे कहकहों की बारिश से, फूलों से चमन खिलता है। तू है, तभी तो हम है, हम … Continue reading तेरी हंसी के सदके, ये जहां कर दू,

रक्षाबंधन

बस, एक धागा, कुछ चावल के दाने,और माथे पर सिंदूर का तिलक,और साल भार का, निस्वार्थ प्यार,यहीं तो है, रक्षबंधन का त्योहार। बहन भाई या गुरु शिष्य का संबंध,व्यापारी है तो ग्राहक से अनुबंध,कभी दोस्तो के हाथ पर दोस्ती की डोर,कभी भक्त और भगवान का बंधन। हर कोई अपने, तरीके से मनाता है,कैसा है ये … Continue reading रक्षाबंधन

क्यूं ना बहन के राखी बांधी जाए

यूं तो कहते है, रीत को कुरीत ना करो,जो है, उसे वैसे ही करते रहो,मगर, यू ही क्यूं हम बदलाव की बात करते है,क्यूं नहीं हम कुछ नया शुरू करते है,क्यूं बस बहनों को ही, सुरक्षा कीजरूरत होती है भाई से,क्यूं नहीं, भाई कमजोर हो सकते है,क्यूं लाचार बस औरत को समझते है,क्यूं नहीं उसकी, … Continue reading क्यूं ना बहन के राखी बांधी जाए