कब तक मुलाकातों में मकसद
और मकसद से मुलाकाते करती रहेगी
वक़्त और इंसान वहीं है जो कल थे
बस, फितरत कुछ बदल सी गई है
देव
पलकों के नीचे तुमने, जो एक चमन बसाया है।
वहीं कहीं मैंने, अपना आशियां बनाया है।।
देव
दर्द के अहसास से, उदासी मेरे चेहरे पर भी आती है।
फिर, हल्की सी हंसी, दर्द को दूर मुझसे ले जाती है।।
मैं खुश हूं मेरे हालत पर, ये मुकाम मैंने पाया है।
दया तो मुझको, उसके हालत पर आती है।।
देव