Random thought July 19

कब तक मुलाकातों में मकसद
और मकसद से मुलाकाते करती रहेगी
वक़्त और इंसान वहीं है जो कल थे
बस, फितरत कुछ बदल सी गई है

देव

पलकों के नीचे तुमने, जो एक चमन बसाया है।
वहीं कहीं मैंने, अपना आशियां बनाया है।।

देव

दर्द के अहसास से, उदासी मेरे चेहरे पर भी आती है।
फिर, हल्की सी हंसी, दर्द को दूर मुझसे ले जाती है।।
मैं खुश हूं मेरे हालत पर, ये मुकाम मैंने पाया है।
दया तो मुझको, उसके हालत पर आती है।।

देव

Leave a Reply