ख्वाहिश में है काफिर

छुपाने से कहां छुपता है,
रूप ये तेरा,
हर बार, और निखरता है,
रूप ये तेरा,
सूरज भी परेशां है,
है कौन ये आखिर,
दीदार दे एक बार,
ख्वाहिश में है काफिर।।

देव

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