कुछ रिश्ते टूटते, कुछ बनते जा रहे है।।

चेहरों में, चेहरा छिपा है,
कहीं पूरा, कहीं, अधूरा छिपा है,
पहचाने कैसे, कोई ये बताए,
किसको अपनाए, कोई ये बताए,
कोई अपना होकर भी, पराया होता है,
पराए पर कहा, विश्वास होता है,
चंद पैसों में, बिकते है यह रिश्ते,
आज खास है, वो ही कल आम होता है,
बस, इसी कशमेकश में जिए जा रहे है,
कुछ रिश्ते टूटते, कुछ बनते जा रहे है।।

देव

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