बस इतना ही, चाहे ये पागल

तुम, यू ही नहीं मिली, कुछ तो खास किया मैंने,
जो तुमसे, मुलाक़ात हुई,

अपने गमों को छुपा, मुस्कुराते चेहरे पर अपने,
प्यार बाटने का सबमें जिम्मा, हां, उठाया तुमने,

प्यारी सी तुम्हारी आवाज में,
भाई शब्द का सुनना,
रुकना, मुड़ना, और तुम्हारा प्यार से देखना,

ना प्रपंच, ना कोई छल,
सच्चा प्यार, बांटो हर पल,
बचपना भी भरा है तुमने,
सलाह, फटकार भी मिलती अक्सर

प्रण है, ये भाई, हर पल, हर क्षण,
बस, इक आवाज की दूरी भर,
बस, आशीष तुम्हारा, रखना मुझ पर
बस इतना ही, चाहे ये पागल।।

देव

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