बेफिक्र मैं यू ही नहीं रहता अक्सर,
तेरे होने की, वजह ही काफी है,
दूरियां मुझको, तेरे और पास ले आयी है,व
किनारा ना सही, मंझधार ही काफी है,
हया है तुझको, जो जवाब नहीं देती,
मेरे खत को, तेरा पढ़ लेना काफी है,
तू करीब हो, है जुस्तजू मेरी पर,
दिल लगाने को, तेरी याद काफी है।।
देव