तुम क्या रूठी, मैं, मुझसे जुदा हो गया

तुम क्या रूठी,
मैं, मुझसे जुदा हो गया,
जैसे, मुझमें से, मैं खो गया।।

सपनों में मेरे, तेरा है बसेरा,
नज़रों में बसा है, चेहरा बस तेरा,
मुझे, मैं याद था ना रहा,
पर तुम क्या रूठी,
नींद और चैन, उड़ सा गया,
जैसे, मुझमें से, मैं खो गया।

तू नहीं थी करीब,
मगर, करीब बहुत थी,
तेरे चंद लब्जो में, हो जाती
बातें बहुत थी,
पर तुम क्या रूठी,
बातों से वास्ता टूट गया,
जैसे, मुझमें से, मैं खो गया।

यकीं है मुझको, जरा खुद पर,
बहुत तुझ पर,
फिर आयेगा दिन, मुझे देखकर
तेरे लबों पर वही मुस्कान होगी,
तुझसे फिर मुलाक़ात होगी,
तुम्हे इक दिन, माना लूंगा,
जो खो गया कहीं,
जिंदगी के सफ़र में,
फिर से पा लूंगा,
मैं, इक बार फिर से,
मुझसे मिलूंगा।।

देव

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