नजर तेरी, कहां खूबसूरत है तुझसे,
मगर मानता हूँ, यकीनन है अलग वो सबसे।
तेरी नज़रों में, नज़्म हजार छिपी है,
मैं तो बस एक हूँ कई शायरों की, कलम चली है।
बेशक, तेरी नज़रों में, जाने कितनी,
दुनियां छिपी है,
जिसे देखो, उसी की नज़रे, तेरी नज़रों को,
ढूंढ़ती है,
क्या जाम, क्या महफिल की, शायरों को पड़ी है,
सबके जहन में, तेरी, बस तेरी, नज़रे बसी है।।
देव
26/10/2020, 12:24 am