मुझे कुछ वक़्त और चाहिए

यही रात मुझे एक और चाहिए
तेरे पहलू में, कुछ वक़्त और चाहिए

शाम डलने पे तू आए
या अपने दर पर मुझको बुलाए
तेरा तसव्वुर ना कर सका पूरा
दीदार के तेरे और लम्हे चाहिए
मुझे कुछ वक़्त और चाहिए

मेरी महफ़िल गूंजती है
तेरे गानों से
लोग पूछते है हजार सवाल करते है
तेरे आने पे
तुझे छुपाने के बहाने और चाहिए
मुझे कुछ वक़्त और चाहिए

देव

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