सांसे भी में नहीं अपनी मानता हूं।
छूट जाए, तो क्या, खुदा को सताएंगे हम।।
ना दो, हमे नज़राना अपने हुस्न का।
सपनो में आके, तुझे छेड़ जाएंगे हम।।
वक़्त, किसका हुआ है, जो अहम करे।
इश्क़ है तो जिंदा है, वरना यू ही मर जाएंगे हम।।
देव
सांसे भी में नहीं अपनी मानता हूं।
छूट जाए, तो क्या, खुदा को सताएंगे हम।।
ना दो, हमे नज़राना अपने हुस्न का।
सपनो में आके, तुझे छेड़ जाएंगे हम।।
वक़्त, किसका हुआ है, जो अहम करे।
इश्क़ है तो जिंदा है, वरना यू ही मर जाएंगे हम।।
देव