भूतों की व्यथा

भूतों की भी बड़ी अजीब सी व्यथा है,
हॉलावीन है, या कोई आपदा है,
माना, इंसानों ने अपना, प्रपंच रचा है,
पर असलियत, से दूर क्यूं खड़ा है,

मिला आज एक भूत, सुनाई अपनी कथा,
दे दिया दिल, समझ अपनी बिरादरी का बंदा,
पर ये क्या, ये तो जो है, वो भी नहीं है,
इतने खतरनाक तो भूत भी नहीं है,
हम भी, बड़ी तहजीब से मिलते है,
एक से बढ़कर एक, खूबसूरत रूप रखते है,

पर, इन इंसानों ने, बदनाम कर डाला,
हमारे, नाम पर, अपना, त्योहार बना डाला,
उन्हें क्या पता, अब हम उनसे डरते है,
पता नहीं, क्या हो, क्या निकले,
छेड़ने से भी डरते है।

देव

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