मुझे मेरी जिंदगी से, मिला गई

जिंदगी, खड़ी इंतेज़ार कर रही होगी
उसी मोड़ पर, जो कभी, छूट गया था,


मंजिल की तलाश में, जो ना मेरी थी,
अफसोस, फिर भी चले जा रहा था


परायों के शहर में, अनजान था मगर,
गरूर से, अपना बता रहा था, वो तो,


शुक्र है, जिसे सबने कोसा, वही मुझे
मेरी मंजिल से, मिलाने चल पड़ी,


जिससे जिंदगी बचा रहे थे लोग, वही
मुझे मेरी जिंदगी से, मिला गई।।

देव

10 August 2020

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