ये मासूम सी हंसी, जैसे खिलती कोई कली,
तेरी नज़रों में, जाने कब, मैं खो सी गई।
तेरे नन्हे हाथों का, छूना मुझे, वो हल्का सा,
मेरी, वर्षों की तमन्ना, पल में, पूरी हुई।
पाकर तुझको, मुझको, ये अहसास हुआ,
आईं है घर में मेरे, अप्सरा सी, नन्ही परी।
तुतला कर बोलना, कभी मां, कभी मामी तेरा,
सुन कर बातें तेरी, दिल में ठंडक सी हुई।
कोई नन्ही, कोई गुड़िया, कोई परी कहता है,
मेरे लिए, तू प्यारी सी, “जान,” मेरी हुई।।
देव
18/08/2020, 8:07 am