मुस्कुराते तेरे चेहरे ने, कितनो की जान ली,
अब ये आलम है तो तब, कितनों की जान ली थी।
उम्र पर ना जाना जनाब, मैं गिनने में कमजोर हूंँ,
लिखती कुछ और , दिखती कुछ और हूंँ।
अब ये आलम है तो तब, कितनों की जान थी।
गर हिसाब हैं तो बता, कितनो की जान ली।
बे अदब करने की, कोई जुर्रत तो कर देखे,
है ज़बान की बे लफ्ज का, पाठ पढ़ा देंगे वो।
कहते है, इश्क हर उम्र में, हो सकता है,
और मैं हूं, मुझे हर उम्र में, बस तुझसे रहा है।।
देव
24/09/2020, 11:08 am