यूं ही हाथो से फिसलते वक्त से मैंने पूछ डाला,
क्या तू भी कभी रुका है, या रुकने वाला,
वक्त ने कहा, कौन है, और किसके लिए रुकूं,
यहां कोई नहीं है, मेरी कद्र करने वाला,
हर कोई मुझे अहम, मानता है, मगर
अपने मतलब के लिए, मुझे जानता है,
जिसे देखो, वही वक्त से परेशान है,
किसी को कुछ, किसी को सब कुछ की आस है,
दिन रात बस कुछ पाने होड़ है,
पहुंचना कहीं नहीं, और लगी दौड़ है।
थम जाओ जरा, जरा मुझसे बात करो,
मेरे हर पल को, जिओ, थोड़ा ऐतबार करो।
जो मिल गया है, उसे तो जीलो जरा,
ना उम्मीदों को अपने, आसमान करो।
मैं भी रुक जाऊंगा, सिर्फ तुम्हारा हो जाऊंगा,
एक बार, तुम भी तो रुको, मुझसे बात करो,।।
देव
15/10/2020, 1:08 pm