गणतंत्र दिवस कि हार्दिक शुभकामनाओं के साथ, चंद पंक्तियां भारतीयों के लिए।।
चलो, इस गणतंत्र कुछ अलग करते है,
संविधान फिर से पढते है,
बहुत हो गया वक्त,
कुछ याद है, कुछ भूल गए,
शायद, सब एक समान है,
कि पंक्तियां भूल गए,
तभी तो अब भी, धर्म, जाती,
और लिंग का बॉक्स,
हर फॉर्म मे होता है,
जाती प्रमाण पत्र के बिना,
काम कहा चलता है,
बस भारतीय हूंँ,
का बोल बाला कहा चलता है।
चलो, इस बार, कुछ अलग करते है
यूं शहीदों को याद करते है,
जिस आजादी को पाने को,
कितनों ने रक्त बहाया,
उन्ही शहीदों के खून से
ये संविधान बन पाया,
इसी संविधान की रक्षा मे,
अब भी है वो तत्पर खड़े,
जहां जीवन दुश्वार है, उस
सीमा पर सीना तान खड़े।
चलो, इस बार कुछ नया करते है,
देश के किसानों को, धन्यवाद कहते है,
स्वतंत्र भारत को, फिर से
किसानों ने सम्हाला,
कोई भूखा ना सोए यहाँ
बंजर जमीन पर अनाज उगाया,
दुश्मन जब भी था,
सीमा पर खड़ा,
छोड़ हाल बंदूक उठाई,
जय जवान, जय किसान
की आवाज, हर दिशा से आईं।
चलो, बहुत सो लिए, अब उठ जाते है,
अपने भारत वर्ष को, फिर से,
सोने की चिड़िया बनाते है,
विद्या का भंडार था ये, इसे
फिर से विश्व विद्यालय बनाते है,
छोड़ कर सारे भेदभाव,
भारतीय हम बन जाते है।।
देव
26/01/2021, 11:07 pm