मैं हकीक़त हूंँ,

रोक तो सकते है, मगर
तुम रुकोगी, कुछ ना कहोगी,
कैसे यकींन करे,
ख्वाहिशें जो है तुम्हारी,
उन्हे समझा कर, संग चलोगी,
कैसे यकींन करे।
मैं वो नहीं, जो ख्वाबों में
तेरे आता है रात रोज,
मैं हकीक़त हूंँ, चाहत रखता हूंँ,
मगर हकीक़त मे जीता हूंँ रोज।
देव
29/01/2021, 12:00 pm

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