हर साल, एक छोटा सा!

थाम कर तुम्हारा हाथ,
सफर यूं कट गया,
जिन्दगी का हर मोड,
मुस्कुराते गुजर गया।
पच्चीस साल, जब
बच्चों ने दिलाया याद,
तो याद आया,
हर साल, एक छोटा सा,
दिन नजर आया,
हर दिन का वो लम्हा,
जब हम करीब थे,
बड़ा छोटा पाया,
और आज लगता है,
शायद बहुत कम ही,
वक्त मिल पाया।
ना जाने कहाँ वक्त,
पलक झपकते निकल गया।।
नौकरी, बच्चे, घर,
और पचास जिम्मेदारियाॅं,
गुजर गए हसीन पल,
थोड़ी मेरी शर्म,
कुछ तुम्हारी हया,
याद नहीं, मैंने कभी,
खुलकर तुम्हे,
आई लव यू भी कहा,
अब बच्चे बड़े हो गए,
हमसे काफी आगे निकल गए,
लेकिन, छुप छुप कर,
उनसे बहुत कुछ सीख लिया,
देखो, आज मैंने भी,
भरी महफिल में,
आईं लव यू तुम्हे बोल दिया,
अब हर लम्हा,
बस तुम संग जीना है,
हर पल को, सालो
जितना जीना है,
और कल, अफसोस
नहीं ये करना है,
कि ना जाने, जीना
तो हमने नहीं छोड़ दिया।
देव
06/02/2021, 12:32 am

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